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विश्व कविता दिवस

  21  मार्च विश्व कविता दिवस    गाँव का जीवन याद आ गया । एक मुक्तक -- ॰॰॰॰॰॰॰॰॰ घर है द्वार है , यही जीवन संसार है । इसमें तो भिनसार है , सझियार भी है। इन सबमें सबसे अच्छा ये ओसार है। माई कहती अच्छा बिटिया के बखार है। सुख सम्मान जुटाने दुआरे पर बुहार है। घर है द्वार है। पाहुन आयें इसी पैड़ै इसी का इन्तजार है । दुआरे आम ,  नीमऔर महुआ का सिंगार है । मह-मह महक रहा मोजर का ऑगन द्वार है । गौरैया गौरव और गैय्या शोभा से पुचकार है । पोखरी पंख फुहरावे बत्तख जिनगी बनावें सयार है । जीव जगत घंटी लोरी से पावेल    दुलार है । ऐसा भैय्या गांव का अपना    घर दुआर है । घर है द्वार है ।। *****

पी कहां पी कहां

  अभी होली की राख भी बुझी भी नहीं थी ,  कि हरे-भरे गूलर के घने वृक्ष की ओट से पपीहे की निरन्तर टेर सुनाई पड़ी  , एक बार पत्तों की खड़खड़ाहट जैसी आवाज फिर दूसरी बार पीकहां- पीकहां    सब कुछ निरन्तर ,  आखिर उसने ऐसी कौन सी व्यथा देखी है ,  जो वह सदैव इसी ऋतु में मानवीय समाज को प्राकृतिक रुप से प्रस्तुत करती है ,  मर्म इस प्रकार से पता चला कि एक बार पिता अपने बेटे को लेकर महुएं के पेड़ की लकड़ी काटने जंगल गया हुआ था साथ में उसका नवविवाहित बेटा भी था ,  पिता लकड़ी काट ही रहा था ,  उसी समय एक घटना ऐसी हुई कि पिता के हाथ से कुल्हाड़ी छूट कर बेटे के गर्दन पर आ पड़ी और बेटा ,  तत्काल चल बसा ।            पिता बहुत ही भयभीत होकर उसके शरीर पर सूखे पत्ते डालकर ढक    दिया और बुझे मन से घर लौट आया ।घर आने पर बेटे की बहू ने पूछा पी कहां   ? वह निरुत्तर रहा ।बोला थोड़ी देर में आ जायेगा । जब बेटा नहीं लौटा तो बहू घर से जंगल की ओर चली गई और उसी महुए के पेड़ के नीचे गयी. पत्ते हटा कर देखा तो बहुत दुःखी हुई और तुरन्त अपने प्राण त्याग दिए । उसी समय से उस लकड़हारे को याद दिलाने के लिए पपीहे का जन्म लेकर आजतक

यमुना छठ का महत्व

                         यमुना छठ का महत्व                     ¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤                                                                                                                   -  डॉ०करुणा शंकर दुबे     नमामि यमुनाम् अहं सकल सिद्धि हेतु मुदा । मुरारि पद पंकज स्फुरद् मन्द रेणुत्कटाया।।   भारतीय संस्कृति आशावादी प्रकृति की रही है ,  इसी आशावाद ने आस्था को जन्म दिया है  ,  और आस्था की पुष्टता के लिए पर्व और त्यौहार होते है ,  पर्व सामूहिक रुप से मनाया जाने वाला कार्य है जिसके पोर-पोर में सामंजस्य  ,  समग्रता ,  भाईचारा ,  आध्यात्मिक उन्नति के दर्शन होते है । यह नवरात्रि ,  महाशिवरात्रि मौनीअमावस्या ,  कार्तिक पूर्णिमा है  ,  लेकिन त्यौहार तिथि और वार के अनुसार होते है । इनका संबंध  , सदाचरण ,  स्नेह  ,  ईश्वरीय प्रेम और संस्कृति के प्रति श्रद्धा का भाव होना है । इसमें महापुरुषों की जयन्ती और निर्वाण दिवस भी हो सकता है ,  चाहे तथागत बुद्ध की पूर्णिमा हो या भगवान् श्री राम की जयन्ती अथवा यमुना जयन्ती या यमुना छठ ।               यमुना छठ  , वासन्तिक नवरात्र की    चैत्र शुक्ल

गणगौर त्योहार का महत्व

गणगौर त्योहार का महत्व                                                                                                                                               - डॉ०करुणा शंकर दुबे    भारत आस्था  ,  विश्वास   और भक्ति   का देश    है   ।    समस्त त्योहारों   में आस्था रखना तथा उ स के     के   अनुसार आचरण करना  ,  सामाजिक शिष्टाचार तथा उ स के    दायित्व अनुपालन करना ही विश्वास    का विषय है । वर्षों ,  से कुछ परिवर्तनों के साथ    आचार और प्रथाएँ  ,  नदी की धारा के समान कुछ छोड़ती हुई  ,  कुछ जोड़ती हुई चली आ रही हैं ।    भारतीय नारियां आस्था और विश्वास के सहारे ईश्वर से सदैव अपनी मनोकामना पूर्ण कराने में सफल रही    हैं।              राजस्थान  ,  हरियाणा  ,  गुजरात  ,  उत्तर प्रदेश  ,  मध्यप्रदेश ही नहीं अब तो लगभग पूरे देश के लिए    गणगौर त्योहार    कोई नया नहीं रह गया है । इसे   गणगौरी व्रत भी कहते हैं । यह भारतीय हिन्दू नारियों का विशेष त्योहार है   । राजस्थान का यह राष्ट्रीय पर्व    है  ,  स्थान भेद से इसके पूजन विधि विधान में थोड़ा बहुत अन्तर जान पड़ता है  ,  किन्तु मूल

प्यार तुम मत किया करना

  किसी से जो तूने कहा   है , प्यार तुम मत किया करना । किसी से जो तूने कहा   है , किसी ने लिखा प्यार मत करना । । किसी से जो तूने कहा   है ,   प्रेम   किसी से होने लगे , तो इन्कार   भी   नहीं करना ।। किसी से जो तूने कहा   है , प्रेम होने लगे तो इन्कार न करना। किसी से जो तूने कहा   है , निभा सकते हो तो भी ,   किसी से जो तूने कहा   है , बढ़ती उम्र में लगाव न करना ।। किसी से जो तूने कहा   है , निभा सकते हो तो लगाव न करना । किसी से जो तूने कहा   है , अपनी ऑंखों से किसी की , किसी से जो तूने कहा   है ,   जिन्दगी बीमार को न करना ।। किसी से जो तूने कहा   है , अपनी ऑंखों से बीमार न करना । किसी से जो तूने कहा   है ।।                  ===0===