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नागरी हिन्दी के संवाहक:महामहोपाध्याय पण्डित सुधाकर द्विवेदी

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 नागरी हिन्दी के संवाहक : महामहोपाध्याय पण्डित सुधाकर द्विवेदी ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~                                                       महामहोपाध्याय पण्डित सुधाकर द्विवेदी, भारतीय नागरी, हिन्दी भाषा के शिखर पुरुष है, जिनसे, हिन्दी भाषा की गति का प्रवाह संस्कारित होता है । उन्होंने हिन्दी लेखनी की धुंधली रेखा में नवतूलिका से, जीवन रंग प्रदान करने का सत्प्रयास किया, जिस समय हिन्दी का आन्दोलन प्रगति पर था और हिन्दी गद्य की लड़ाई के साथ हिन्दी पद्य भी राष्ट्रीय आन्दोलन में बराबर आगे बढ़-चढ़कर अपना योगदान कर रहे थे, उस समय समाज में कोई अन्यथा भाव न हो जाए ।साहित्यिक दृष्टि से भाषा को राष्ट्रधर्म  प्रधान मानकर रचनाधर्मिता की जा रही थी, उसी समय काशी में एक से एक सुनाम धन्य विद्वत् जनों का जन्म भी हो रहा था ।                         बाबू श्याम सुन्दर दास ने लिखा है कि बहुत दिन हुए  चैनसुख नामक एक सरयूपारी दुुुबे ब्राह्मण काशी में संस्कृत पढ़ने आए । वे शिवपुर के पास मँड़लाई गाँव में एक उपाध्याय के यहाँ अध्ययन करने लगे । उपाध्याय की कोई सन्तति नहीं होने के कारण चैनसुख ही