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 नदी में तैरता हुआ तैराक हाथ-पैर मारते हुए अपने कार्य को कठिन बताता है, और अपने पास वाले को यह कहते हुए आगे बढ़ जाता है कि संसार का यह सबसे कठिन काम है,इग्लिश चैनल पार करना अब उसका आख़िरी मुकाम है,बाबा भारती का घोड़ा धोखे से झटकने वाला डाकू खड्ग सिंह यह चालबाजी चलने में सफल रहा था कि अपाहिज की भूमिका में उसने बाबा का घोड़ा हथिया लिया था | उस समय उसे लगा था कि उसका यह दांव कारगर निकला किन्तु बाबा का जो दाँव समाज पर उपयुक्त रहा आज भी उस विश्वासघात का मरहम नहीं बन सका है,आदमी एक समय में कई चालें चल सकता है,फिराके बना सकता है,जुगत लगा सकता है,काम करते हुए बतिया सकता है,दुनियाँ के सारे एशों आराम कर सकता है,किन्तु चाणक्य महाराज के अनुसार  विद्यार्थिन : कुतो  सुखं , की बात अलग थलग रह जाती है, यदि आप विद्यार्थीं है तो निश्चित जानिये शिक्षा का कोई आख़िरी मुकाम नहीं होता है,यह कोई इग्लिश चैनल पार करना जैसा कार्य नहीं होता है,जीवन के अनेक क्षेत्र है , अनेक विषय है ,किन्तु जीवन ही छोटा होता है,पढ़ाई में मनन है,चिंतन है,इसके साथ आप तैराकी नहीं कर सकते है,चालबाजी नहीं कर सकते है,कलाबाजी नहीं दिखा सक