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मेरी काशी

              मेरी काशी            *********   माँ गंगा का मिलता रहें    आशीष     ऐसा हो निशि-दिन का प्रकाश   ,   जिस जन के मन में रहता श्वास   उसके पूरन    हो जाते सारे विश्वास   | |  माँ गंगा का मिलता    आशीष     भाग्य हमारा हम बसते काशी   , नव निर्माण सहेज कर लें   उपयोगी अपना जीवन आकाश   | |  माँ गंगा का मिलता रहें    आशीष     ऐसा हो निशि-दिन का प्रकाश   ,   जिस जन के मन में रहता श्वास   उसके पूरन    हो जाते सारे विश्वास   | |  तीन लोक से न्यारी में   ऐसा हो निशिदिन का प्रकाश   , दीन-दुःखी के कष्ट निवरते   देव-देवियों के आस   | |  माँ गंगा का मिलता रहें    आशीष     ऐसा हो निशि-दिन का प्रकाश   ,   जिस जन के मन में रहता श्वास   उसके पूरन    हो जाते सारे विश्वास   | |  निष्काम निष्पाप भावों    से   जिस जन के मन में रहता श्वास   , अविनाशी  योगी की साधना तीर्थ   सदा से करती रही विकास   | |  जिसके रज-कण में हरक्षण होता मन्दिर -मन्दिर बटते हैं मिठास ,   उन्मुक्त जीव रहें अविकारी विश्वासी   बाबा विश्वनाथ का आभास   | |  माँ गंगा