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Farmer

 किसान  ~~~~ ऊँचे नीचे खेत मेड़ की ले कमान,  कांधे कुदाली , खुरपे संग चले किसान । मेघ वायु में कर रहा घमासान ।  संचरित मेघों का क्रीड़ांगनआसमान । सूरज के हाथों बंधी ईख और धान । कुछ चमकारे , कुछ मटियारे दीख रहे निशान। प्रतिपल भाष्कर सिझराता , निगराता, किसान ।  धरती धानी चूनर ,मेघ रंग रंगीले धरे परिधान ।  मनुज खेतों में बैलों संग  नंगे तन । मानवता की खेती में लहलहाती फसल निसान ।  किसानी मेघ बयानी का जीवन । खेतों पर जनतोष लिए जाते हैं । क्या कहें अब दूब भी चुभती है । एक मन है, एक तन है ,एक जीवन है । हम काँटों का कारोबार किये जाते है । खेत कलेवा चिरुवा पानी पीते है । सुनते है प्रगति कर गये है दुर्गति है । अब कर्जदारी का कार्ड लिए फिरते है । कैसे कृषक पलता खेती की जाती है । और वे रात दिन मेडों पर कैसे कटते हैं । बारिश के मौसम ने सारे ऑसू धो डाले है ।  ऐसी बारिश हो मन के दु:ख  मिट जाये । ईश्वर ने ही जन्म दिया वही सब हरते है ।।                    ********