बादलों की खेती
बादलों की खेती ---------------- यान वायु में कर रहा घमासान , ऊँचे नींचे बीच की ले कमान । भूखण्ड में संचरित , दीखते स्वच्छ आसमान , मेखला मार्ग जन अवलोकती , मेघों की खेती , सूरज के हाथों जिनकी कमान । कुछ उजले , मटियारे कुछ के निशान , प्रतिपल भाष्कर सिझराता , निगराता एकाकार कराता , मेघों की खेती में हाथ बंटाता । फिर भी मनुज , बिन तन ढ़के सो जाता । कहीं लिहाफ़ सहेजे जाते है , कहीं धुनियाँ सरीखे फ़ाहे बंटे जाते है । उजले - उजले मेघ ऊँचे ऊँचे तन जाते है । मटियारी नीचे नीचे छन जाते है , पुरातन भी यहां नूतन बन जाते है । किन्तु , मानवता की खेती में परिवर्तन तजे जाते है । प्रकृति के बियावान में वायुयान सरीखे , हम अकेले ठगे जाते है । व्यभिचार , विकार व्यापार , सभी छोड़ मेघ एकाकार हुए जाते हैं , मेघों की खेती में जीवन का , जन - तोष लिए जाते है , अब तो दूब भी चुभती है । हम क...