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मुंशी नवजादिक लाल श्रीवास्तव और हिंदी पत्रकारिता

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 मुंशी नवजादिक लाल श्रीवास्तव और हिन्दी साहित्य तथा पत्रकारिता  ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ भारतीय स्वतन्त्रता के युग में हिन्दी साहित्य के लिए , जिसमें गति प्रदाता पत्रकारिता ही अग्रणी रही है ।  विशेष रुप से  भारत का कलकत्ता शहर का नाम इस कार्य के लिए प्रसिद्ध रहा है । उसके अनेक कारण रहे है ।साहित्य में संस्कृत पहले स्थान पर काशी (बनारस) फिर हिन्दी, लेकिन पत्रकारीय जीवन के लिए कलकत्ता और कानपुर को क्रम से रखना उचित होगा, हांलाकि इसका मानक आधार नहीं बना रहे है । यह मात्र विचार लिख रहे है और लेखन शब्द आगे ले चलते हुए ,एक नाम पत्रकारीय जीवन में भुलाते हुए भी भूलने का मन नहीं हो सकता है वह है मुंशी नवजादिक लाल श्रीवास्तव !  वर्ष 1988 को चिलकहर ग्राम बलिया में श्री रामलाल श्रीवास्तव के पुत्र के रुप में नवजादिक लाल जी का जन्म हुआ था ।  उनके पिता जी की आर्थिक परिस्थिति के चलते या अन्य कारणों से  वे साधु बन गये । नवजादिक जी का बचपन अपने मामा के यहाँ बीता उसके बाद वे अपने सामर्थ्य के अनुसार  कलकत्ता में डाक एवं तार विभाग में डाकिए की नौकरी कर गये, किन्तु यह काम उनकी पसंद का नहीं था तो