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ऐरे गैरे

    ऐरे गैरे  , गर्दिश के सितारे , असंतुलित मस्तिष्क , बिखर जाते शब्द , लिखा कुछ होता , कह   कुछ जाते । सोरे -सोरे , बातें चुभ जाती  , पोरे -पोरे  , छोरे-छोरे सुमरति भोरे। और अँधेरे , ऐरे गैरे नत्थू खैरे   मोरे  , सब छोरे , ऐसे   वैसे मानव   बना , जैसे तैसे , जीवन कटता , प्रतिपल , पैसे-पैसे ।। बेलगाम  , जिह्वा के टोरे  , कह जाती , मोरे-तोरे  , करियारे , कर्कश , ठूँठ के ठौरे , ना मधुमास , ना भौरे , अक्षर -अक्षर , विध जाते , तन पर , लगे हो , कंकडिया के कोरे । हम पर , चाहे कितना फेंको , मन पर , न फेंको , आग लगे कौरे । नदी में तैरे , पनसुइया  , जैसे बंधी हो डोरे , विवश जीवन , पतवारे , मझधारे , जाय उबारे , कैसे उस पारे। गौरव   मोरे दुःख हरे , सुख भरे , ऐरे गैरे  , गर्दिश के सितारे , शब्द बिखर जाते , लिखा कुछ होता , कह   कुछ जाते , बातें चुभ जाती , पोरे -पोरे । ऐरे गैरे  , नत्थू खैरे ।।...