Victoria Lamppost
विक्टोरिया लैम्पपोस्ट ^^^^^^^^^^^^^^^^^^ अइसन ज़िनगी , रस्ता, बस्ता, शेर,सियार, कुकुर,बिलार , कोयल,कौआ, पपीहा क पुकार। सब सुनत कट गईल , डाड़ा,मेंड़ी, खेत खलिहान, बिहान, दिन, दुपहर, सझियार, भयल अन्हियार, माई आजी जोगावें दियना तुलसी चौरा, बाबू, डरे से रहे, सब काबू। राशन, डिपो तेल लाइन, जमा अदला-बदली असली-नकली, छेदहा-तेलहा, व्यथा कथा , हिन्दुस्तान वैसे चलत हवै, सांझ सियापा ओढ़े चादर, धुआंसे लकीर सांझ सकारें, खेलाड़ी मैदानें लौटे घरे दुआरे, गाय-बछवा जैसे पुकारें , पांव पखारे , माई के अंगना डिबरी क बाती, संझियाती जगमग आती। कांच की शीशी सूती क बाती, घासलेट से उजियार कर जाती । बरीसन बीत गईल , चूल्हा के आग में सोंधी रोटी, दुआरे नीमिया क पाती , अजुऔ भी सुहाती, लाइन से ऑनलाइन जिनगी उरझा जाती । सझियारे दुआरे धूर उड़े माटी, अंन्हियारे अतीत क परछाई देखत बाटी। धीरे-धीरे पुरनका खड़हर दुआरे, विक्टोरिया लैम्पपोस्ट निहारे । रोज सझियारें येही बेचारा , लियावे उजियारा , ...