सूरज और चन्दा
सूरज और चन्दा सूरज और चन्दा की हुई लड़ाई । बातें बढ़ती धरती माँ तक आई । सूरज ने रार कुछ यूँ समझाई । दिन भर उधम बहुत मचाई । चन्दा भी करती खेल खिलाई । माँ उसको देती मोती भरी मलाई । सूरज और चन्दा की हुई लड़ाई। बातें बढ़ती धरती माँ तक आई । माँ मैंने पीछे जब भी कदम बढ़ाई । मोती राख बन तेरे आँचल है समाई । अनुगामी रहा फिर भी इसकी ढिठाई । इसको दया कभी न मुझ पर आई । सूरज और चन्दा की हुई लड़ाई । बातें बढ़ती धरती माँ तक आई । माँ बोली शीतलता है इसकी कमाई । तुम करते अकुलित जीवन तरुणाई । चन्दा से सीखो शान्ति सजलता सुघराई । अहर्निश सेवा ही मेवा देती आई । सूरज और चन्दा की हुई लड़ाई । बातें बढ़ती धरती माँ तक आई । -------0------- डाँ० करुणा शंकर