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International Joke Day अन्तरराष्ट्रीय चुटकला दिवस

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 जब अपनी पैठ कहीं  न बन सकी । पुरखो के खड़े राहो के बैनर उठा  लायें । अब तो सड़कों की गर्मी भी बहुत है । पुरानी इबारत के गंध ही मिलती काफी है । चूहे , तिलचट्टे, झींगुर की महक भाते आये । लिखी कहीं ,गुमसाईन भी भली हो जाये । बयारों से ,जीवन दलदली हो चला है । पैठ बनाना भी ,अब एक कला है । क्या करता ,जमाने में शेखी भी है । दायें से बायें ,गर्दन फिराना भी कला है।  कहें तो हाँ में हाँ वाले ,हक्कारे भी उठा लाये । चुटकुले कहाँ रहे कुछ फुचकुल्ले बना लाये।  मुक्ता ,कविता की इज्जत देख ग़म  खा रहे है ।  ऑसू ,मेले का कैरेक्टर इज्जत उसकी बचा रहे है।  आखिर चुटकुला दिवस पर फुचकुल्ला सुना रहे है।।                  ------- अन्तरराष्ट्रीय चुटकुला दिवस का शोकगीत है ।