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तरई के गाँव में

  तरई के गाँव में *********** तरई के गाँव में   , चन्दा नहाय रहा ।   मछरी के पोखर में   , दिनकर ठंडाय रहा ।   जिनगी के ककहरा में देस अऊ गांव समाय रहा ।   अइसन मोह अऊ बिछोह जियरा छटपटाय रहा ।   तरई के गाँव में   , चन्दा नहाय रहा ।   मछरी के पोखर में   , दिनकर ठंडाय रहा ।   मनवा क गतिया दिनवा -रतिया   ,  अटपटाय रहा ।   किस्सा अऊ बतिया हियरा में लहराय रहा । तरई के गाँव में   ,  चन्दा नहाय रहा ।   मछरी के पोखर में   , दिनकर ठंडाय रहा ।   उतान सेवारे क मचान पनिया में बनाय रहा ।   पात बीच बेरा के फूल जइसन गमगमाय रहा ।   तरई के गाँव में   ,  चन्दा नहाय रहा ।   मछरी के पोखर में   , दिनकर ठंडाय रहा ।   मन मगन सेवा सहचरी में तन कुनमुनाय रहा ।     सुख शान्ति अशीष सब जन पे गुनगुनाय रहा । तरई के गाँव में   ,  चन्दा नहाय रहा ।   मछरी के पोखर में   , दिनकर ठंडाय रहा । निर्मोही मनवा बैरी पपीहवा टेर में अटकाय रहा । संगी सब लुटाय खाली हाथ गेहिया को जाय रहा । तरई के गाँव में   ,  चन्दा नहाय रहा ।   मछरी के पोखर में   , दिनकर ठंडाय रहा ।               ******  ******