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सड़क

सड़क सड़कें चौड़ी, ------------------------------ ----------------------------- कोलतार और रोड़ी हो गयी सड़कें चौड़ी, शहरों के हो गए छोटे -छोटे मकान | अट्टालिकाओं और कोटरों में गुम , वाशिंदों का मुस्कान भरा वितान || बढ़ रही सिर्फ सबकी भाषाई जुबान , शान्ति घट छोटी पडी अपनी जहान | आशायें खोजती हर पल निशां में , अपने -अपने सपनों के आसमान || भीड़ और यातायात की आपाधापी में , रौदें जाते निशिदिन सब अरमान | शोर तले बंट जाता निज का ध्यान , जेठ दुपहरी ढूंढ रहीं उपवन बचाने निज प्रान || बचाने को मर्यादा और क्षण भर की थकान , कालचक्र के अजब कड़ाहे का देखो ये पकवान | पकते नश्वरजीव जगत के नर-नारी और जवान , सिमटता चरित्र बल बढ़ती उम्मीदें सारी || साकार बन खड़ी विषय उधारी सामान , इबारती जीवन लेख विलास की मारी | दुःख खरोंचने को जीवन सारा लगता बलवान , सुख सहलाने को अपलक पल बिचारी ।  मृगमरीचिका देखना दिन में हो रहा आसान , रोड़ी की सड़कें चौड़ी शहरों के हो गये छोटे मकान || ---------0----------