चिंगारी
चिंगारी अटवी के प्रस्तर , खंड -खंड घर्षण, चकमक चकाचौध , जठरानल को शान्ति दे , अखंड जीवन की, लौ चिंगारी । बन मशाल, प्रेरणा की मिसाल , मंगल की, चमकी चिंगारी । चहुँ ओर , तम का डेरा। जन सैलाब चिंगारी से, अभिभूत वडवानल घेरा । व्याकुल आने को नया सवेरा, रानी के खडगों की चिंगारी । अमर कर गई , जन-जन में जोश भर गई , सत्य अहिंसा प्रेम दीवानी, बापू की स्वराज चिंगारी ।। नूतन अलख जगा गई , देशभक्त बलिदानी, चिंगारी दावानल फैला गई । युग - युग के ज़ुल्मों को सुलझा गई । नई रात , नई प्रात: करा गयी । चिंगारी मशाल, मिसाल बन , स्वाभिमान बन, राष्ट्र गीत सुना गयी ।। -------0--------