चिंगारी


 चिंगारी


अटवी  के प्रस्तर ,

खंड -खंड घर्षण, 

चकमक चकाचौध ,

जठरानल को शान्ति दे ,

अखंड जीवन की, 

लौ चिंगारी ।

बन मशाल,

प्रेरणा की मिसाल ,

मंगल की,

चमकी चिंगारी ।

चहुँ ओर  ,

तम का डेरा।

जन सैलाब चिंगारी से,

अभिभूत वडवानल  घेरा ।

व्याकुल आने को नया सवेरा,

रानी के खडगों की चिंगारी ।

अमर कर गई ,

जन-जन में जोश भर गई ,

सत्य अहिंसा प्रेम दीवानी,

बापू की स्वराज चिंगारी ।।

नूतन  अलख जगा गई ,

देशभक्त बलिदानी,

चिंगारी दावानल फैला गई ।

युग - युग के ज़ुल्मों को सुलझा गई ।

नई रात ,

नई प्रात: करा गयी ।

चिंगारी  मशाल,

मिसाल  बन ,

स्वाभिमान बन,

राष्ट्र गीत सुना  गयी ।।

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