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Clay Drinking pot कुल्हड़

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☆☆☆☆☆ कुल्हड़ ☆☆☆☆☆ भारतीय संस्कारों में मिट्टी का सबसे उपयोगी पात्र कुल्हड़   रहा है, जीवन से जुड़ा प्रतिपल इसका उपयोग सबसे अधिक शुद्ध पात्र के रुप में मान्य और प्रतिष्ठा प्राप्त है। हमारे देश में ऐतिहासिक आंकड़ा तो नहीं है कि सबसे अच्छा कुल्हड़ कहाँ का है लेकिन अपने छह दशक के अनुभव से बनारस के कुल्हड़ ग्रामीण अंचलों का भरुका के आगे किसी दूसरे कुल्हड़ को नहीं स्वीकार कर पाता हूँ । उसका कारण भी है एक तो वजन में हलका होता है । दूसरा पतला होता है । तीसरा उसमें सुबह लोग चाय का लुफ्त तो शाम ठंडाई का आनन्द लेते है । यह रोजगार बाजार भी देता है पूरा परिवार रोजगार से जुड़ता है । इसमें अपने गंगा मईया की सोंथी माटी की सुगंध होती है जो कहीं नहीं मिलेंगी सिर्फ कुल्हड़ में मिलेगी बनारस में इसे पुरवा, भी कहते है कुछेक स्थान पर इसका उपयोग देशी मयखाने में भरपूर होता  है वहाँ इसे चुक्कड़ नाम से ख्याति प्राप्त है । बनारस में चाय पीते नहीं है चाय की चुस्की लेते है  और चुस्की कुल्हड़ में स्वाद देते है, उसके बाद असीम आनन्द की अनुभूति होती है, जिसे परमानन्द कहते है, फिर मंगाइयें कुल्हड़ और चाय पीकर देखिये फ