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बागेश्वर

  मैं अगर बिछड़ भी जाऊँ कभी मेरा ग़म न करना । ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ मेरी याद करके कभी आँख नम न करना । ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ तू जो मुड़ के देख लेगा मेरा साया साथ होगा । ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ 卐卐卐卐卐卐卐卐 ॐ 卐卐卐卐卐卐卐 जब ज़िन्दगी को बहुत-बहुत नजदीक से देखता हूँ , सोचता हूँ , पाने के लिए कुछ नहीं है , खोने के बहुत कुछ है , लेकिन जो अपने हो तो उनमें कुछ नाम ऐसे है जिनसे कभी नहीं मिला अनाम किन्तु अनन्य परिचित आत्मीय भाई श्री सुमन्त मिश्र , विषम परिस्थित में भी सभी से जुड़कर कुशलक्षेम बाबा विश्वनाथ दरबार का पुण्य प्रसाद सब तक बजरंग बली संकटमोचन बाबा का आशीर्वाद सभी को देने की भावना , ताकि जाने-अनजाने पर नहीं कोई संकट किसी भी समय पर आन नहीं पड़े ऐसे को वंदन नमन है । उनके महान कार्य और योगदान साथ ही लेखनी , जो हमें प्रेरित करती है , उनकी नित्य कृति जो है देखकर , पढ़कर पाओ वही सुखद है । अन्तर्मन में रखने का कोई लाभ नहीं सो आज बागेश्वर के नीलेश्वर और भीलेश्वर चोटी के बीच पहुँच चुका हूँ । अपने उत्तराखण्ड सेवाकाल के दूसरे दौर के प्रभार के समय अपने केन्द्राध्यक्ष कार्यभार के अन्त