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तुम्हीं हो मेघ

  तुम्हीं   हो   मेघ   प्रकृति   की   कोख   से   , अदृश्य   से   दृश्यमान   , तुम्हीं   तो   हो   मेघ   , आस   लगाये   किसान   , आतप   शरद   के   मध्य   तुम्हीं   हो   । सागर   , नदी , सरोवर   से   तुम्हीं   हो   , पर्वत   की   ओट   , घर्षण   या   चोट ,  तुम्हीं   हो   | रक्तिम , कालिमा   , सिंदूरी , श्वेत   का   आभास   , शीतलता , आर्द्रता   मेघ   ही   जीवन   श्वास   । इंद्र  - बज्र   की   हुंकार   , गर्जनों   में   भी   प्रकाशमान , मेघ - बूँद   से   माटी   सोधती  , ताल - तलैया   रसाप्लावित   लहराते   , चारो   कोरो   पर   दादुर   गीत   उच्चार   ते , प्रकृति   पुरुष   उदार   मना , चिरयौवन , उमड़  - घुमड़ , घहराते , ललचाते , मयूरों   को   लजियाते   , यक्ष - विरह   संदेशक   , अलक - पलक   उर् - झाते   , मेघ   तुम्हीं   हो   , स्वाती   बूँद   तुम्ही   में   , जड - चेतन   अमरत्व   तुम्हीं   से   , सरोवर ,  नदियाँ   अस्मिता   खोने   को   बेबस   , सागर   खारे   पानी   को   बरबस   रोता   है   । परिवर्तन   की   आंधी   में   नैसर्गिकता   क