संदेश

उजाला लेबल वाली पोस्ट दिखाई जा रही हैं

उजाला

  जीवन    दरख्त मानिन्द  , अंधियारे से उजाले  ,   बीज से वृक्ष  ,   हरित से पीत भी है ,    सूखने पर भी काबिल है ,    बस वही खूबसूरत है ,    और हम अक्लियत के सहारे  , उसी बीज को अंधेरे से बोते , उजाले के होते है ,   ठूंठ तो    कीमती है , अक्लियत की भी मति है , यह भटकते का भूगोल है , अटकते की गणित है ।   हम वृक्ष मानिन्द ही बढ़े है । अंधियारे से उजाले की ओर चले है । अंधेरा जहां पलता है वहीं से चले है । सूरज को भी छुपना पड़ता है । ऐसे ही खुशहाली का पल मिलता है । जीवन दरख्त मानिन्द पलता है ।।       °°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°