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Thakur Gopal Sharan Singh:: Aristocrat to author

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 सामंत से साहित्य की ओर ::ठाकुर गोपाल शरण सिंह  ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ हिन्दी साहित्य में महावीर प्रसाद द्विवेदी के नाम से  द्विवेदी युग रखा गया है ।  द्विवेदी जी एक ऐसे साहित्यकार रहे, जो बहुभाषी होने के साथ ही साहित्य के इतर विषयों में भी समान रुचि रखते थे । अपने प्रकांड पाण्डित्य के कारण इन्हें ‘आचार्य’ कहा जाने लगा । वे महान ज्ञान-राशि के पुंज और आचार्य  थे । उनके प्रति श्रद्धा रखने वाले  युग के प्रतिनिधि कवि, खड़ी बोली के काव्य निर्माता,और अपनी भाषा संस्कृति व देश को सदैव गौरव प्रदान करने वाले कविवर ठाकुर गोपाल शरण सिंह की कविता में जिस सरसता और भावों की गूढ़ता के साथ भाषा की सरलता का समन्वय मिलता है,वह अन्यत्र पाना दुर्लभ है ।ठाकुर गोपाल शरण सिंह जी की बासठवीं वर्षगांठ  हिन्दी साहित्य सम्मेलन प्रयाग के संग्रहालय में ठाकुर रणंजय सिंह के सभापतित्व में मनाई जा रही थी वर्ष के हिसाब से  1953 का समय रहा होगा। पांच,महात्मा गाँधीमार्ग, सिविल लाइन, प्रयाग का बंगला अच्छा खासा है । कमरों में कालीन की बुनाई की टाइल्स लगी है, फुलवारी की शोभा उल्लेखनीय है  यही ठाकुर गोपाल शरण सिंह जी के आव