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माँ गंगे तरल तरंगे

  माँ गँगें तरल तरंगें                *************                            माँ गँगें तरल तरंगें अविरल धारा  , जीवन संगे   । रूप निखारें लहर  - लहर में रवि रश्मियों के   रंगें   ।   जीवन संगे  , माँ गंगे  , तरल तरंगें   । रूप सुनहरा निखर रहा माँ जग कहता सारा   । बूँद  –  बूँद पर सूरज  , चांद  , सितारे देते पहरा   । जीवन संगे  , माँ गंगे  , तरल तरंगें   । उच्छल जलधितरंग निशदिन जन कल्याणक गंगा   । सैकत मध्य विचरती नर - मुनियों की आश्रय गंगा   । जीवन संगे  , माँ गंगे  , तरल तरंगें   । ऊँच  –  नीच छोड़कर धर्म कर्म संस्कार जगाती   । दीनों – दुखियों में हर - पल माँ अमृत रस बरसाती   । जीवन संगे  , माँ गंगे  , तरल तरंगें   । गंगा सागर तक बस इसी तरह बहती रहना   । धराधाम पर माँ अजस्र स्रोत सी बहती रहना   । जीवन संगे  , माँ गंगे  , तरल तरंगें   । पूत भाव से अमल  – विमल बनी रहें गंगा   । मनोकामना मन - मल दूर करें पावनी गंगा   । जीवन संगे  , माँ गंगे  , तरल तरंगें   । माँ गँगें तरल तरंगें तेरी अविरल धारा  , जीवन संगे   । रूप निखारें लहर  -  लहर में रवि रश्मि