माँ गंगे तरल तरंगे
माँ गँगें तरल तरंगें
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माँ गँगें तरल तरंगें अविरल धारा ,जीवन संगे ।
रूप निखारें लहर -लहर में
रवि रश्मियों के रंगें ।
जीवन संगे ,
माँ गंगे ,
तरल तरंगें ।
रूप सुनहरा निखर रहा माँ जग कहता सारा ।
बूँद – बूँद पर सूरज ,चांद ,सितारे
देते पहरा ।
जीवन संगे ,
माँ गंगे ,
तरल तरंगें ।
उच्छल जलधितरंग निशदिन जन कल्याणक गंगा ।
सैकत मध्य विचरती नर-मुनियों की आश्रय गंगा ।
जीवन संगे ,
माँ गंगे ,
तरल तरंगें ।
ऊँच – नीच
छोड़कर धर्म कर्म संस्कार जगाती ।
दीनों–दुखियों
में हर-पल माँ
अमृत रस बरसाती ।
जीवन संगे ,
माँ गंगे ,
तरल तरंगें ।
गंगा सागर तक बस इसी तरह बहती रहना ।
धराधाम पर माँ अजस्र स्रोत सी बहती रहना ।
जीवन संगे ,
माँ गंगे ,
तरल तरंगें ।
पूत भाव से अमल –विमल बनी
रहें गंगा ।
मनोकामना मन-मल दूर
करें पावनी गंगा ।
जीवन संगे ,
माँ गंगे ,
तरल तरंगें ।
माँ गँगें तरल तरंगें तेरी अविरल धारा ,जीवन संगे ।
रूप निखारें लहर - लहर में
रवि रश्मियों के रंगें ।
जीवन संगे ,
माँ गंगे ,
तरल तरंगें ।।
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