तरई के गाँव में

 

तरई के गाँव में

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तरई के गाँव में ,चन्दा नहाय रहा । 
मछरी के पोखर में ,दिनकर ठंडाय रहा । 
जिनगी के ककहरा में देस अऊ गांव समाय रहा । 
अइसन मोह अऊ बिछोह जियरा छटपटाय रहा । 
तरई के गाँव में ,चन्दा नहाय रहा । 
मछरी के पोखर में ,दिनकर ठंडाय रहा । 
मनवा क गतिया दिनवा -रतिया अटपटाय रहा । 
किस्सा अऊ बतिया हियरा में लहराय रहा ।
तरई के गाँव में चन्दा नहाय रहा । 
मछरी के पोखर में ,दिनकर ठंडाय रहा । 
उतान सेवारे क मचान पनिया में बनाय रहा । 
पात बीच बेरा के फूल जइसन गमगमाय रहा । 
तरई के गाँव में चन्दा नहाय रहा । 
मछरी के पोखर में ,दिनकर ठंडाय रहा । 
मन मगन सेवा सहचरी में तन कुनमुनाय रहा । 
 
सुख शान्ति अशीष सब जन पे गुनगुनाय रहा ।
तरई के गाँव में चन्दा नहाय रहा । 
मछरी के पोखर में ,दिनकर ठंडाय रहा ।
निर्मोही मनवा बैरी पपीहवा टेर में अटकाय रहा ।
संगी सब लुटाय खाली हाथ गेहिया को जाय रहा ।
तरई के गाँव में चन्दा नहाय रहा । 
मछरी के पोखर में ,दिनकर ठंडाय रहा ।

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