ऐरे गैरे

 


 ऐरे गैरे ,

गर्दिश के सितारे,

असंतुलित मस्तिष्क,

बिखर जाते शब्द,

लिखा कुछ होता,

कह कुछ जाते ।

सोरे -सोरे,

बातें चुभ जाती ,

पोरे -पोरे ,

छोरे-छोरे

सुमरति भोरे।

और अँधेरे,

ऐरे गैरे

नत्थू खैरे मोरे ,

सब छोरे,

ऐसे वैसे

मानव बना,

जैसे तैसे,

जीवन कटता,

प्रतिपल,

पैसे-पैसे ।।

बेलगाम ,

जिह्वा के टोरे ,

कह जाती,

मोरे-तोरे ,

करियारे,

कर्कश,

ठूँठ के ठौरे,

ना मधुमास,

ना भौरे,

अक्षर -अक्षर,

विध जाते,

तन पर,

लगे हो,

कंकडिया के कोरे ।

हम पर,

चाहे कितना फेंको,

मन पर,

न फेंको,

आग लगे कौरे ।

नदी में तैरे,

पनसुइया ,

जैसे बंधी हो डोरे,

विवश जीवन,

पतवारे,

मझधारे,

जाय उबारे,

कैसे उस पारे।

गौरव मोरे

दुःख हरे,

सुख भरे,

ऐरे गैरे ,

गर्दिश के सितारे,

शब्द बिखर जाते,

लिखा कुछ होता,

कह कुछ जाते,

बातें चुभ जाती,

पोरे -पोरे ।

ऐरे गैरे ,

नत्थू खैरे ।।

 

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40- ऐरे गैरे

 

 


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