Farmer

 किसान 

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ऊँचे नीचे खेत मेड़ की ले कमान, 

कांधे कुदाली , खुरपे संग चले किसान ।

मेघ वायु में कर रहा घमासान ।

 संचरित मेघों का क्रीड़ांगनआसमान ।

सूरज के हाथों बंधी ईख और धान ।

कुछ चमकारे , कुछ मटियारे दीख रहे निशान।

प्रतिपल भाष्कर सिझराता , निगराता, किसान ।

 धरती धानी चूनर ,मेघ रंग रंगीले धरे परिधान ।

 मनुज खेतों में बैलों संग  नंगे तन ।

मानवता की खेती में लहलहाती फसल निसान ।

 किसानी मेघ बयानी का जीवन ।

खेतों पर जनतोष लिए जाते हैं ।

क्या कहें अब दूब भी चुभती है ।

एक मन है, एक तन है ,एक जीवन है ।

हम काँटों का कारोबार किये जाते है ।

खेत कलेवा चिरुवा पानी पीते है ।

सुनते है प्रगति कर गये है दुर्गति है ।

अब कर्जदारी का कार्ड लिए फिरते है ।

कैसे कृषक पलता खेती की जाती है ।

और वे रात दिन मेडों पर कैसे कटते हैं ।

बारिश के मौसम ने सारे ऑसू धो डाले है । 

ऐसी बारिश हो मन के दु:ख  मिट जाये ।

ईश्वर ने ही जन्म दिया वही सब हरते है ।।

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