मेरी काशी

 

            मेरी काशी

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माँ गंगा का मिलता रहें  आशीष 

 ऐसा हो निशि-दिन का प्रकाश ,

 जिस जन के मन में रहता श्वास 

उसके पूरन  हो जाते सारे विश्वास | | 

माँ गंगा का मिलता  आशीष 

 भाग्य हमारा हम बसते काशी ,

नव निर्माण सहेज कर लें 

उपयोगी अपना जीवन आकाश | | 

माँ गंगा का मिलता रहें  आशीष 

 ऐसा हो निशि-दिन का प्रकाश ,

 जिस जन के मन में रहता श्वास 

उसके पूरन  हो जाते सारे विश्वास | | 

तीन लोक से न्यारी में

 ऐसा हो निशिदिन का प्रकाश ,

दीन-दुःखी के कष्ट निवरते 

देव-देवियों के आस | | 

माँ गंगा का मिलता रहें  आशीष 

 ऐसा हो निशि-दिन का प्रकाश ,

 जिस जन के मन में रहता श्वास 

उसके पूरन  हो जाते सारे विश्वास | | 

निष्काम निष्पाप भावों  से

 जिस जन के मन में रहता श्वास ,

अविनाशी  योगी की साधना तीर्थ

 सदा से करती रही विकास | | 

जिसके रज-कण में हरक्षण होता

मन्दिर -मन्दिर बटते हैं मिठास,

 उन्मुक्त जीव रहें अविकारी विश्वासी 

बाबा विश्वनाथ का आभास | | 

माँ गंगा का मिलता रहें  आशीष 

 ऐसा हो निशि-दिन का प्रकाश ,

 जिस जन के मन में रहता श्वास 

उसके पूरन  हो जाते सारे विश्वास | | 

सब लोकों में प्यारी काशी 

जन-मन शीश नवाते,

देव दिलाते खुशहाली गाते 

आशा और विश्वास जगाते | | 

माँ गंगा का मिलता रहें  आशीष 

 ऐसा हो निशि-दिन का प्रकाश ,

 जिस जन के मन में रहता श्वास 

उसके पूरन  हो जाते सारे विश्वास | | 

 

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