विश्व कविता दिवस

 21 मार्च विश्व कविता दिवस  गाँव का जीवन याद आ गया ।

एक मुक्तक --

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घर है द्वार है,

यही जीवन संसार है ।

इसमें तो भिनसार है,

सझियार भी है।

इन सबमें सबसे अच्छा ये ओसार है।

माई कहती अच्छा बिटिया के बखार है।

सुख सम्मान जुटाने दुआरे पर बुहार है।

घर है द्वार है।

पाहुन आयें इसी पैड़ै इसी का इन्तजार है ।

दुआरे आमनीमऔर महुआ का सिंगार है ।

मह-मह महक रहा मोजर का ऑगन द्वार है ।

गौरैया गौरव और गैय्या शोभा से पुचकार है ।

पोखरी पंख फुहरावे बत्तख जिनगी बनावें सयार है ।

जीव जगत घंटी लोरी से पावेल  दुलार है ।

ऐसा भैय्या गांव का अपना  घर दुआर है ।

घर है द्वार है ।।

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