प्यार तुम मत किया करना

 

किसी से जो तूने कहा  है,

प्यार तुम मत किया करना

किसी से जो तूने कहा  है,

किसी ने लिखा प्यार मत करना

किसी से जो तूने कहा  है,

 प्रेम  किसी से होने लगे,

तो इन्कार  भी  नहीं करना ।।

किसी से जो तूने कहा  है,

प्रेम होने लगे तो इन्कार करना।

किसी से जो तूने कहा  है,

निभा सकते हो तो भी,

 किसी से जो तूने कहा  है,

बढ़ती उम्र में लगाव करना ।।

किसी से जो तूने कहा  है,

निभा सकते हो तो लगाव करना

किसी से जो तूने कहा  है,

अपनी ऑंखों से किसी की,

किसी से जो तूने कहा  है,

 जिन्दगी बीमार को करना ।।

किसी से जो तूने कहा  है,

अपनी ऑंखों से बीमार करना

किसी से जो तूने कहा  है ।।

 

               ===0===

 


टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

नागरी हिन्दी के संवाहक:महामहोपाध्याय पण्डित सुधाकर द्विवेदी

आचार्य परशुराम चतुर्वेदी और चलता पुस्तकालय

मुंशी अजमेरी