सार संसार एक मुनस्यार
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आज एक बार फिर अतीत की यादों में खो गया जब मैं अपने अभियान्त्रिकी प्रमुख श्री जगदीश सिंह खाती जी के साथ रत्तै ब्याण यानि बिहान होने में अभी देर थी कि 27 जून की रात लगभग सो कर 28जून को आकाशवाणी अल्मोड़ा की टीम प्रातःकाल चार बजे आकाशवाणी अल्मोड़ा मुख्यालय से चौघान पाटा के दाहिने होते हुए, गोलू देव चितई मंदिर के रास्ते से आगे को बढ़ते हुए आगे,बाडेछीना, धौलछीना , सेराघाट में डरावने घनघोर पहाड़ों एवं ऊंचे ऊंचे देवदार ,चीड़,शाहबलूत (सिल्वर ओक)बाज के जंगलों रास्तों जहाँ कहीं कहीं लिखा हुआ था 'ट्यड़ म्यड़ बांट हिटो माठू माठ'टेढ़े मेढ़े रास्ते है सावधानी बहुत जरुरी है। इन सब से घिरे बहुत छोटे से बाजार में अपने को बन्दरों से बचाते हुए चाय पीने के बाद दाहिने ओर नदी पर बने पुल को पार करते हुए भयावह बादलों के संग संग हम खाती जी , सारथी पूरन सिंह मेहता जी बेरीनाग मोड़ के राहगीर बने, फिर राईआगर से बायें उडयारी चौक,यहाँ तिराहा है, जहां पर बागेश्वर का रास्ता है , जो चौकोड़ी के रास्ते पर से, जो मुनस्यारी के रास्ते पर चलने के लिए हमें पहुंचाता है , यही आगे थल नामक स्थान जहां पुल पार करते ही एक शिव मंदिर है आगे की ओर बढ़ते हुए नाचनी, टिमटिया, क्वीटी, गिरगांव,पहुंचे, यह सभी बहुत ही कठिन क्षेत्र हैं अधिकतर बादल फटने की घटना प्रभावित क्षेत्रों में आतीं हैं, रास्ते भर जल प्रपात है, यहाँ के जल प्रपात विशेष रूप से बिर्थी फाल जो 125 मीटर की ऊंचाई का है हालांकि पूरे मुनस्यार क्षेत्र को सिटी ऑफ फाल्स या जल प्रपात का शहर कहा जाए, तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी, यह सच्चाई है । आगे बढ़ने पर रातापानी होते हुए फिर कालामुनि पहुंचे भगवान् देवी देवताओं के दर्शन से मन को मजबूती मिली, एक राहत भरी सांस मिली और कालामुनि का मंदिर ग्राम भजिया का डाना क्षेत्र है । यहां पता चला कि माँ दुर्गा की प्रतिमा को लेकर लोगों में काफी उत्साह रहता है वे एक दिन पूजा-अर्चना भी करते है, यही मिलकुटिया का मेला लगता है । रिवर राफ्टिंग और पर्वतारोही भी यहां आते है, यहाँ मां काली की मूर्ति भी है । हमने आगे जैसे ही कदम बढ़ाया कि मुनस्यारी की प्रकृति के दर्शन आरम्भ हो गये, भव्य स्वागत हिमालय ने किया और खलिया टॉप पहुंच पाते आँखे हमेशा यही सोचती आखिर हमारे शुभचिंतक श्री एम एस रावत जी हमेशा अपने गाँव क्यों आते हैं, प्रकृति स्वयं उन्हें बुलाती है । मुनस्यारी मुनि की तप स्थली होने के कारण नाम है । यह स्थान 2250 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है । मार्ग में नाचनी 2430 मीटर ऊंचाई पर स्थित है । मुनस्यारी में गायत्री चेतना केंद्र है, जो आचार्य सूर्य प्रताप सिंह जी की देख रेख में संचालित है । यहां जोहार घाटी है, जो कभी तिब्बती लोगो के व्यापार का मार्ग था । दूरदर्शन का वी एलपीटी सेन्टर भी है ।आज मुनस्यारी का एक और संकट है कि भीषण रुप से बादल के फटने से नष्ट हो गये गांव फिर से आबाद करने की । इसके लिए कोई सार्थक योजना बनाने की। आखिर सीमावर्ती क्षेत्रों में विश्वास जमाना हमारा धर्म है।
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