हिप्पी आन्दोलन या क्रैक रिज, या नासा प्वाइंट 8

 क्रैक रिज़ ,नासा प्वाइंट 8 या हिप्पी आन्दोलन या फिर कसार देवी का मंदिर:वैश्विक तीर्थ ही है !

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यह मेरे अल्मोड़ा उत्तर प्रदेश या उत्तराखण्ड जानें का या पोस्टिंग का कोई नया अवसर नहीं है, लगभग ढाई वर्ष पहले जब यह पता चला कि शारदीय नवरात्रि के समय ऑफिस में कुछ लोग अवकाश मांग रहें हैं कि उन्हें कसार देवी मंदिर जाना है, उत्सुकता मुझे भी हुई लगभग 27 वर्ष पूर्व वहाँ जाना हुआ था, लेकिन आज की उत्सुकता का कारण मुझे भी नहीं मालूम था । अन्ततः मैंने चन्द्रवल्लभ तिवारी से पूछा कि क्यों जा रहे हो । उसने कुमाऊंनी हिन्दी में बतलाया कि माँ कात्यायनी देवी का दर्शन बहुत ही पुण्य दायक होता है,जिज्ञासा मानवीय स्वभाव है, प्रश्न और किया हमारे इस आकाशवाणी अल्मोड़ा केन्द्र से क्या दूरी होंगी, उसने जानकारी दी बागेश्वर जाने वाले रास्ते पर ही यहाँ से आठ किलोमीटर से कम है, मैंने सुझाव दिया देवी के दर्शन सुबह करो तो अच्छा है, छुट्टी भी बचेगी और पुण्य भी मिलेगा,लेकिन बात मेरे मन में रह गयी कि भीड़ का समय समाप्त होने के बाद अवश्य ही कसार देवी के माँ कात्यायनी देवी मंदिर दर्शन करने जाऊंगा । सुबह-सुबह अपने ड्राइवर के साथ कसार देवी उत्तराखण्ड में अल्मोड़ा जनपद से आठ किलोमीटर की दूरी पर मैं भी गया, हमनें देखा कि कश्यप पर्वत पर स्थित यह स्थान एक गाँव है । यहाँ जानें का अवसर मिला , यह कसार देवी के मंदिर के कारण प्रसिद्ध है । मन्दिर पहाड़ की चोटी पर घुमावदार रास्ते से चलने के बाद खूब ठंडी हवाओं से परिपूर्ण गुफा क्षेत्र के ऊपरी भाग में स्थित हैं, मंदिर के मुख्य द्वार पर सिंह की मूर्ति है, जो अहसास दिलाता हैं कि माँ दुर्गा इसी गुफा में रहती थी,ऐसी आस्था है, माँ का यह मंदिर दूसरी शताब्दी का है । स्वामी विवेकानन्द जी 1890 में यहाँ इस मंदिर में आये थे । इसके अलावा अनेक साधक यहाँ आये और रहे । अमेरिकी संस्था नासा ने इस मंदिर के बायीं ओर ग्रेविटी प्वाइंट 8 दर्ज़ किया है (GPS8)। यह क्रैंक रिज के लिये भी प्रसिद्ध है लोग बतलातें हैं कि पहाड़ में कड़कड़ की आवाज आती है, आखिर इसे क्रैक या सनकी क्यों कह दिया गया है रिज़ तो पहाड़ की चोटी है, ऐसा मानना है कि पहाड़ की चोटी के नीचे उर्जा क्षेत्र हैं जहाँ चट्टानें परस्पर एक-दूसरे में कुछ मिलने जुलने का का कार्य करती है, यह भौगोलिक विषय है और भूगर्भ विज्ञान की अपनी जानकारी के अभाव में शान्त रहना ही उचित लगा, लोगों ने बताया कि यह स्थान 1960-70 के दशक के भारत में हुए हिप्पी आन्दोलन में बहुत प्रसिद्ध हुआ था । इस कारण यह स्थान हिप्पी हिल के नाम से भी प्रसिद्ध है,आज भी देशी-विदेशी पर्वतारोही और पर्यटक यहाँ आते रहते हैं । यह तन्त्र क्षेत्र है , वर्ष 1970 से वर्ष 1980 तक डेनमार्क के डच सन्यासी लोगो का क्षेत्र भी यह रहा, यहाँ की प्रति वर्ष कार्तिक पूर्णिमा (नवम्बर-दिसम्बर में) को कसार देवी का मेला लगता है । तिब्बती बौध्द धर्म अध्ययन के जानकार वाल्टर इवांस वेंट्ज ने यहाँ रहकर the tibetan book of dead का अनुवाद किया,1630 में रहस्यवादी अल्फ्रेड सोनसन (सुनीता बाबा )और अर्न्स्ट हाफमैन आदि भी यहाँ रहे बौध्द दार्शनिक भी यहाँ आये, यह हवा बाघ घाटी के नाम से भी प्रसिद्ध हैं | मानसिक शान्ति का अद्भुद केन्द्र है | माँ दुर्गा मन्दिर से लगभग एक सौ फीट ऊँचाई पर चढ़ने के बाद शिव मन्दिर भी है,साथ ही शारदा मठ भी यही है जहां अनेक विदेशी संत समाधि रत रुप में आज भी रहते है | इसी के समीप नीचे की ओर कसार देवी बाज़ार कुछ दूरी पर है जहां विदेशी सपरिवार महीनों रह कर अपने पुण्य ध्यान तप साधनाओं को करने ऊपर मंदिर में आते हैं । यहाँ की सुखद हवाओं में आप एक पल ईश्वरीय जीवन में खो जाते है और फिर वापसी की इच्छा समाप्त हो जाती है ऐसा तीर्थ कसार देवी का मंदिर है। 

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