खोखला वट वृक्ष
दावों का खोखला होना,
वादों का खोखला होना
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दावों का खोखला होना ,
वादों का खोखला होना ।
सह जाता है,
रह जाता है
कह जाता है,
ज़माना लेकिन,
उस गली के मोड़ पर,
बरगद का खोखला होना ,
करवट की नींद तोड़ गया।
अतीत की बहुत बातें कह गया,
जैसे हर पल जीवन का ढह गया ।
जीवन में खोखली पोल रह गई,
संतो के ठहराव, मन संताप बिसराव।
जेठ की छांव ,बरसात से बचाव,
देव दनुज, मनुज खगकुल की आस,
कोटर शुक दरख्त खोखले की सरसराती हवा।
जड़े कमज़ोर कर गया छाया खो गई,
खोखले तन,मन,निर्जन रेत उग गई ।
पहचान खोखले दरख्त क्यों नहीं होते ।
माइलस्टोन हो न हो दरख्त हो जरुरी ,
खोखलेपन से पहले उसके वंश संभाल लो,
खग किलकारी बचालो,हरियाली बना लो।
झंझावात से बचालो,और प्राणवायु बना लो।
खोखले पर खेल नहीं ,कोई संत नहीं आते,
कोई बसन्त नहीं आता। कोई गीत नहीं गाता।।🌾🪴
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