Peace of Tree वृक्ष की शान्ति
वृक्ष की शान्ति
**********
शाहबलूत देवदार ,
चीड़ बाज सभी,
वृक्षों की शान्ति ।
यह फटते बादल ,
और तड़कती बिजली ,
सब सह जाने की रखते शक्ति ।
तप की भ्रान्ति।
नहीं बना रही है ।
चेतावनी मनुज को है ।
अनायास तोड़कर पहाड़,
अपनी मौज को नहीं,
भविष्य के लिए मौत,
द्वार खोल रहे हो ।
नदियों का निर्बाध रुप,
बांध कर सही नहीं है ।
भयावह यातना पंचेश्वर,
रामगंगा ,गोमती ,कोसी,
क्या सरयू ,अलकनंदा है ।
निशिदिन जल बहाता पर्वत,
सूख रहे होने को बंजर,
उड़ेंगे रेत पहाड़ों में,
सैलाब बनेंगे मैदानों में,
ईको का बैनर छोड़ो,
वृक्षों को जड़ से पर्वत को जोड़ो ।
पर्यावरण शेष रहे ।
हरित देश का वेश रहे ।
तन मन वे शान्त है ,
उनका वैसा शेष रहे ।
हरित हमारा देश रहे ।।
******
टिप्पणियाँ