Peace of Tree वृक्ष की शान्ति

वृक्ष की शान्ति

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शाहबलूत देवदार ,

चीड़  बाज सभी,  

वृक्षों की शान्ति ।

यह फटते बादल ,

और तड़कती बिजली ,

सब सह जाने की रखते शक्ति ।

तप की भ्रान्ति।

नहीं बना रही है ।

चेतावनी मनुज को है ।

अनायास तोड़कर पहाड़,

अपनी मौज को नहीं,

भविष्य के लिए मौत,

द्वार खोल रहे हो ।

नदियों का निर्बाध रुप,

बांध कर सही नहीं है ।

भयावह यातना पंचेश्वर,

रामगंगा ,गोमती ,कोसी,

क्या सरयू ,अलकनंदा है ।

निशिदिन जल बहाता पर्वत,

सूख रहे होने को बंजर,

उड़ेंगे रेत पहाड़ों में,

सैलाब बनेंगे मैदानों में,

ईको का बैनर छोड़ो,

वृक्षों को जड़ से पर्वत को  जोड़ो ।

पर्यावरण शेष रहे ।

हरित देश का वेश रहे ।

तन मन वे शान्त है ,

उनका वैसा शेष रहे ।

हरित हमारा देश रहे ।।

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