घुटना
जीवन का पल-पल जब लगने लगे अपना ।
थाम लेता मोह से घट , घुटन और घुटना ।
घुट - घुट जीवन चलता ,जैसे चलता सपना ।
भ्रमित मन कहता ,कपोल कल्पित कल्पना ।
घुटरन रेनु तन मण्डित ,वन्दित शोभित वदना ।
आधार बन आयाम दिखे है ,जीवन का घुटना ।
व्यायाम- प्राणायाम गुह्य तथ्य है मनना जपना ।
घट का संकट भवसागर के मझधार में पड़ना ।
केशों से होता परिवर्तन, सजना और संवरना ।
असमय घुटेकेश हो जाता कातर मनुज मना ।
अटल चक्र आकर्षक पद ,मोह और गहना ।
माया जगत सब झूठे , जब रूठ गये घुटना ।
घुटता यौवन घटता जीवन क़ायम रहे टंखना।
घट का क्षरण ,मरण, विन्यास केश करना ।
जय जन ,मन संग, सब मिल कर रहना । ।
-------0-------
42-घुटना
टिप्पणियाँ