भवितव्य

 

भवितव्य 


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उस नींव की गहरी दीवार का क्या करोगे ।

 

कुल के सम्भार आचार का क्या करोगे ।

 

भंवर में नाव संग पतवार का क्या करोगे ।

 

ज़िन्दगी जब मझधार हो तब क्या करोगे ।

 

जब भवितव्य ही है देव के हाथ तो क्या करोगे ।

 

गर्वित तन, आत्म सूझता नहीं तो क्या करोगे ।

 

किराए की ठठरी में अहं का क्या करोगे ।

 

बिना विचारे कर्म कर पछताये क्या करोगे ।

 

जब भवितव्य ही ही है देव के हाथ तो क्या करोगे ।

 

अनमोल समय चूकने पर याद कर क्या करोगे ।

 

अपनी सोच धरी रह जायेगी तो  क्या करोगे ।

 

हीरा जिसे समझा वही जहर घोलेगा क्या करोगे ।

 

जब भवितव्य ही है देव के हाथ तो क्या करोगे ।

 

अतीत का परिमाप भी बदला युग में क्या करोगे ।

 

भवितव्य कालक्रम से मृगमरीचिका में क्या करोगे ।

 

अन्तर्द्वन्द्व कोलाहल विषाक्त संस्कृति में क्या करोगे ।

 

जब भवितव्य ही है देव के हाथ तो क्या करोगे ।

 

जीवन ग्रधित  कदली पत्र संग बेर का क्या करोगे ।

 

भवितव्य के हर द्वार पर भटकाव का क्या करोगे ।

 

खेवनहार जिस विधि राखन चाहे तो क्या करोगे ।

 

श्वास विश्वास आधार जब छूट जाये तो क्या करोगे ।

 

जब भवितव्य ही है देव के हाथ तो क्या करोगे ।

 

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