भवितव्य
भवितव्य
^^^^^^^
उस नींव की गहरी दीवार का
क्या करोगे ।
कुल के सम्भार आचार का क्या
करोगे ।
भंवर में नाव संग पतवार का
क्या करोगे ।
ज़िन्दगी जब मझधार हो तब
क्या करोगे ।
जब भवितव्य ही है देव के
हाथ तो क्या करोगे ।
गर्वित तन, आत्म सूझता नहीं तो क्या
करोगे ।
किराए की ठठरी में अहं का
क्या करोगे ।
बिना विचारे कर्म कर पछताये
क्या करोगे ।
जब भवितव्य ही ही है देव के
हाथ तो क्या करोगे ।
अनमोल समय चूकने पर याद कर
क्या करोगे ।
अपनी सोच धरी रह जायेगी तो क्या
करोगे ।
हीरा जिसे समझा वही जहर
घोलेगा क्या करोगे ।
जब भवितव्य ही है देव के
हाथ तो क्या करोगे ।
अतीत का परिमाप भी बदला युग
में क्या करोगे ।
भवितव्य कालक्रम से
मृगमरीचिका में क्या करोगे ।
अन्तर्द्वन्द्व कोलाहल
विषाक्त संस्कृति में क्या करोगे ।
जब भवितव्य ही है देव के
हाथ तो क्या करोगे ।
जीवन ग्रधित कदली पत्र
संग बेर का क्या करोगे ।
भवितव्य के हर द्वार पर
भटकाव का क्या करोगे ।
खेवनहार जिस विधि राखन चाहे
तो क्या करोगे ।
श्वास विश्वास आधार जब छूट
जाये तो क्या करोगे ।
जब भवितव्य ही है देव के
हाथ तो क्या करोगे ।
••••••••••••
टिप्पणियाँ