आचमन

आचमन

******

कल्पों से ,

पुरोहित ,यज्ञ आहुति से ,

ब्रह्माण्ड शोधित कराने ,

प्रौक्षणि से यजमान को ,

करा रहा आचमन ,

प्रकृति पुरुष प्रणम्य ,

आचमन आधृत,

तप- आतप ,

धन्य भुवन ।

विनायक साक्षी,

विघ्न शमन  ,

धार कर मध्य ,

अमृत आचमन ,

भास्वर जीवन ।

जल्पों में तकता ,

एकाकी मन ।

शुध्द हो गया ,

गगन आँगन ।

शुध्दि  को तरसता ,

चिरन्तन ।

मन्वन्तर में होता,

आचमन ,

तन लगता दूषित वसन ।

तृषित गल्प  जीवन-मरण ,

नीर तज नहीं सकता नयन ,

वेदिका पर हो रही ,

प्रदक्षिणा जल सुमन ,

अक्षर बन सत्पथ गमन ।

जाह्नवी  नीर सम  जीवन ,

पुरोहित

यजमान का मिलन ,

प्रकृति-पुरुष का आचमन ।

अमृत -मंथन ,

विकल्प छोड़ संकल्प को करते नमन ,

शुध्दि बोध मंगल बूँद से सघन ,

सरस जीवन तन औ मन ।

कर लो स्वच्छ निर्मल आचमन ,

जीवन बगिया सुघर  बन जाय उपवन ,

पुरोहित

यज्ञ आहुति शुध्दि का ,

आचमनी से करा रहा आचमन ,

अमृत -मंथन ,

विकल्प छोड़ संकल्प को करते नमन ।

याचना कर रहा जीव अल्प है जीवन,

पुरोहित ,

परमात्म का करा रहा आचमन ,

शुध्दि बोध मंगल बूँद से सघन ,

सरस जीवन तन औ मन ।

विकल्प छोड़ संकल्प को करते नमन ।

 

                                    -------------0-----------


टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

नागरी हिन्दी के संवाहक:महामहोपाध्याय पण्डित सुधाकर द्विवेदी

आचार्य परशुराम चतुर्वेदी और चलता पुस्तकालय

केंचुल