भला किसे अच्छा लगता है

 

भला किसे अच्छा लगता है ।

^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^

 

साम की नीव ,

दाम के मोल ,

भेद की चाल पर,

चलना ।

भला किसे अच्छा लगता है ?

उत्तेजनाओं के सहारे,

वर्जनाओं को,

तोड़ जाने का,

भय समा जाना ,

भला किसे अच्छा लगता है ?

मोह की अज्ञानताओं ,

के वशीभूत ,

विषमताओं में जीना।

भला किसे अच्छा लगता है ?

क्रोध के रव में ,

आपे से बाहर ,

बकवास,

भला किसे अच्छा लगता है ?

प्रेम की ललक में ,

नयन मूँदें पग बढ़ाना ,

भला किसे अच्छा लगता है ?

पुष्प की ,

चाहत भी हो,

काँटे की पीड़ा ,

भला किसे अच्छा लगता है ?

लालसाओं के आसरे,

कल्पनाओं के महल,

सपने जगा जाना,

भला किसे अच्छा लगता है ?

शान्ति के सहारे,

गुमराह का,

राह पर हो जाना,

हाँ यही अच्छा लगता है ?

समरसताओं में जीना सभी को अच्छा लगता है ?

विषमताओं में जीना किसे अच्छा लगता है ?

      -----0-----

39- भला किसे अच्छा लगता है

 

 


टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

नागरी हिन्दी के संवाहक:महामहोपाध्याय पण्डित सुधाकर द्विवेदी

आचार्य परशुराम चतुर्वेदी और चलता पुस्तकालय

केंचुल