तू शहर बनों बनारस की
बनारस
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तू शहर बनो बनारस की
मैं सांझ-सबेंरे भटकूं तुझमें ,
तू गली बनो घाटों की ,
मैं सांझ-सबेरे भटकूं तुझमें ।
तू शहर बनो बनारस की ।।
तू फूल बनो बगिया की ,
मैं भौंरा बन बस जाऊं तुझमें,
तू शहर बनो बनारस की,
तू मृगदांव बनो तथागत की ,
तू शहर बनो बनारस की ।।
तू लहर बनो गंगा माँ की ,
मैं हर-हर बहता जनजीवन में ,
तू असी बनो बनारस की ,
तू शहर बनो बनारस की ।।
तू नन्दी बन जा भोले की ,
मैं बेल पत्र रखूं करतल में ,
तू शहर बनो बनारस की,
तू घंटी बन जा मंदिर की ।
तू शहर बनो बनारस की ।
रमता - जपता फकीर बनो ,
कूंचे गलियों से घाटों की,
तू शहर बनो बनारस की,
धमक धूप और मंजीर की,
तू शहर बनो बनारस की ।
मैं सांझ-सबेरे भटकूं तुझमें
तू शहर बनो बनारस की ।।
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