संकेत

 


संकेत

-------

-------


अपलक ,

संगीत 

हृदय 

हीन ,

प्रधानता। 

नहीं 

कभी

कोई 

खट -पट ,

हटा 

ध्यान

हो गया 

जीव नष्ट । 

नारी को 

जयमाल

है 

वरण 

का चौखट 

आहट 

सुख-दुःख

झट-पट ,

सक्रिय 

कान्तार का

आखेट

साँसों का 

मरण ,

मीनारों पर 

जलपोतों का 

गन्तव्य ,

स्तम्भों पर

दिशा बोधव्य ,

भँवर 

नदियों में 

 आपदा । 

धूम्र 

अग्नि 

पथ-प्रदर्शक । 

कवि का 

बना

अभिज्ञान 

तर्जनी

विनाशवान 

संकेत 

गति 

होना 

मन्थर

रुकना 

 चलना 

दैहिक से 

रेखांकित 

मानचित्र 

फलक 

गतिहीन 

बने 

गतिमान 

खेचर 

जलचर 

थलचर की 

जीवनरेख 

पढ़ जाते 

भविष्य वेत्ता 

 मस्तक का 

लेख अमिट 

सब 

संकेत 

भेंट ।

-------0------





टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

नागरी हिन्दी के संवाहक:महामहोपाध्याय पण्डित सुधाकर द्विवेदी

आचार्य परशुराम चतुर्वेदी और चलता पुस्तकालय

केंचुल