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भला किसे अच्छा लगता है

  भला किसे अच्छा लगता है । ^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^   साम की नीव  , दाम के मोल  , भेद   की   चाल पर , चलना । भला किसे अच्छा लगता है  ? उत्तेजनाओं के सहारे , वर्जनाओं को , तोड़ जाने का , भय समा जाना  , भला किसे अच्छा लगता है  ? मोह की अज्ञानताओं  , के वशीभूत  , विषमताओं में जीना। भला किसे अच्छा लगता है  ? क्रोध के रव में  , आपे से बाहर  , बकवास , भला किसे अच्छा लगता है  ? प्रेम की ललक में  , नयन मूँदें पग बढ़ाना  , भला किसे अच्छा लगता है  ? पुष्प की  , चाहत भी हो , काँटे की पीड़ा  , भला किसे अच्छा लगता है  ? लालसाओं के आसरे , कल्पनाओं के महल , सपने जगा जाना , भला किसे अच्छा लगता है  ? शान्ति के सहारे , गुमराह का , राह पर हो जाना , हाँ यही अच्छा लगता है  ? समरसताओं में जीना सभी को अच्छा लगता है  ? विषमताओं में जीना किसे अच्छा लगता है  ?       -----0----- 39- भला किसे अच्छा लगता है    

यक्ष युधिष्ठिर संवाद

  यक्ष युधिष्ठिर संवाद -ड़ा करुणा शंकर दुबे     महाभारत  ,   भारतीय संस्कृति का एक मुख्य स्रोत हैं  ,  इसके विषय में कहा जाता है   ,  जो कुछ पूरे विश्व में है  ,  वह महाभारत में है  ,  और कदाचित् जो महाभारत में नहीं हैं  ,  वह विश्व में कहीं भी नहीं है  |  रामायण और महाभारत को भारत के लोक मानस की सांस्कृतिक समृद्धि का कारण समझा जाता है  ,  यह जन-जीवन की स्मृति झाँकी है  |       महाभारत महर्षि वेदव्यास की रचना है  ,  महर्षि व्यास का जन्म नाम कृष्ण था क्योंकि उनका रंग सांवला था  ,  उनका जन्म  यमुना नदी की धारा के बीच एक द्वीप में हुआ था  , इस कारण उन्हें द्वैपायन भी कहा जाता है  ,  उनकी माता का नाम सत्यवती और पिता का नाम पराशर था  |  व्यास का एक आश्रम हिमालय के पास अलकनंदा नदी के समीप बद्रीनाथ के तट पर भी था  ,  जहाँ महाभारत की रचना की गयी  |                                            कहा जाता है कि महाभारत का    मूल ग्रन्थ नाम जय था  ,  बाद में भारत फिर महाभारत प्रसिध्द हुआ  |           महाभारत कौरव और पांडवों के चरित्र का विशद वर्णन है  ,  कौरव और पाण्डव दोनों भरतवंशी थे  ,  इसलिये भरतव