तू शहर बनों बनारस की
बनारस ***** तू शहर बनो बनारस की मैं सांझ - सबेंरे भटकूं तुझमें , तू गली बनो घाटों की , मैं सांझ - सबेरे भटकूं तुझमें । तू शहर बनो बनारस की ।। तू फूल बनो बगिया की , मैं भौंरा बन बस जाऊं तुझमें , तू शहर बनो बनारस की , तू मृगदांव बनो तथागत की , तू शहर बनो बनारस की ।। तू लहर बनो गंगा माँ की , मैं हर - हर बहता जनजीवन में , तू असी बनो बनारस की , तू शहर बनो बनारस की ।। तू नन्दी बन जा भोले की , मैं बेल पत्र रखूं करतल में , तू शहर बनो बनारस की , तू घंटी बन जा मंदिर की । तू शहर बनो बनारस की । रमता - जपता फकीर बनो , कूंचे गलियों से घाटों की , तू शहर बनो बनारस की , धमक धूप और मंजीर की , तू शहर बनो बनारस की ...