संदेश

जय हिन्दी

  जय    हिन्दी   धरती   की   गरिमा   नभ   की   ऊँचाई   है   हिन्दी   । सागर   से   गहरी   मन   की   गहराई   है   हिन्दी   ।। विश्व   बन्धुता   की   द्योतक   मानवता   की   प्रेरक  , सरस   सुयोजित   वाणी   की   सच्चाई   है   हिन्दी   । कर   सोलह   श्रृंगार   अंक   में   नव   रस   को   धारे  , हर   मौसम   की   अलग - अलग   अंगडाई   है   हिन्दी   । युग - युग   तक   जिसकी   महिमा   हर   जिह्वा   पर   होगी  , सूर   कबीरा   तुलसी   की   कविताई   है   हिन्दी , इसे   राजभाषा   कहकर   सीमित   क्यों   करते   हो  ? जब   पूरी   वसुधा   पर   ही   सरसाई   है   हिन्दी   । जिसकी   पावनता ...

दैहिक भाषा (बाॅडी लैंग्वेज)

दैहिक भाषा (बॉडी लैंग्वेज)                                                                           आकारैरड्गितैर्गत्या चेष्टया भाषणेन च। नेत्रवक्त्रविकारैश्च  लक्ष्यतेऽन्तर्गतं मनः।  मित्रभेद पंचतंत्र 45।।                         अर्थात् मनुष्य के आकार प्रकार, इंगित, गति,चेष्टा, वचन, नेत्र एवं मुख गत विकारों के द्वारा उसके अन्तःस्थ भावों का पता लग ही जाता है।  आपने कभी सोचा है कि आखिर कौन सी वजह है कि लोग बिना आपके कुछ कहे भी आपके मन:स्थिति  को भाँप लेते है ? या फिर आप भी झट से अपने आस-पास के लोगों का मन जान लेते हैं ? यह कमाल लोगों की दैहिक भाषा का है । बॉडी लैंग्वेज विशषज्ञों का तो मानना है कि हमारा शरीर मात्र सात प्रतिशत संदेश शारीरिक भाषा और व्यक्तित्व (पर्सनैलिटी )को ही शब्दों से सामने वाले व्यक्ति तक पहुंचा पाता है । श...

अंगुलियाँ

  अंगुलियाँ सुनाते है अँगुलियों की कहानी जुबानी । आकार प्रकार है अपने आप में बारानी । बाबू देहाती रहो या बन के रहो शहरी । अंगुलियाँ सदा से रही है समय प्रहरी ।                       अँगुलियों में   वर्तमान का होता संबल ।                       इशारा   कर बनाती   अचल को सचल ।                       अंगुलियाँ न हो तो लेखनी न हो सबल ।                       तार बेतार   छिपा अँगुलियों की पहल । बाबू देहाती रहो या बन के रहो शहरी । अंगुलियाँ सदा से रही है समय प्रहरी ।           सीमाओं पर जितनी चौकसी की हो...