लहुराबीर ******** बनारस की अपनी यादें स्मृतियों के कोने में किसी न किसी रुप में मन में हिचकोले लेती रहती है, बाढ़ के पानी में लहुराबीर चौराहे का चक्कर लगाना और गर्मी के मौसम में बसन्तबहार में घुसकर फ्री की लस्सी पीने की जुगाड़ बैठाना, स्टूडेंट लाइफ की कारिस्तानी, अब याद आती है और बाबू सुरेन्द्र प्रताप सिंह (डीआईजी कॉलोनी आरआई बंगले के पास पुलिस लाईन के समीप आवास)शायद उन्हें नियाग्रा में इडली, दोसा खिलाने से लेकर लस्सी पिलाने में खूब आनन्द आता था, एक कारण था कि भाई अरविन्द सिंह(डीआईजी कॉलोनी निवासी)की बातों में फंस जाना दूसरे पक्के ठाकुर होने की मर्यादा और तीसरे हम सब साथ के सह यात्री विद्यार्थी भी थे। बसन्तबहार के पीछे की ओर भाई प्रजानाथ शर्मा कांग्रेस के युवा नेता उनके इशारे पर कुछ सामान क्रेडिट पर आते रहते थे और मित्र लोग-बाग वीर चन्द्रशेखर आजाद की तरह कम मूंछ होने पर भी उमेठने के लिए तत्पर रहते थे। डाॅ अब्बासी,अदील अहमद आदि भी थे लेकिन इन लोगों के क्लास अलग-अलग होने से वापसी में प्रायः छूट जाते थे, लेकिन संबंधों में परस्पर स्नेह समान था। प्रकाश टाकीज का एक किनारा राजनेता बनान...