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पितृपक्ष

   भारतवर्ष मान्यता और आस्था से परिपूर्ण देश है , जहां जिस प्रस्तर खण्ड पर अभी तक हम पैर रखते हुए चलते रहे थे , यदि कोई आकृति का उभार भी दीख जाये तो हमारी सोच में बदलाव आ ही जायेगा ।यह सचेतन की दशा है , जब वही दिवंगत पितृ रुप और अंतरिक्ष वासी पितृ परम श्रद्धेय हो तो हमारी चिंतन परम्परा अलग हो जाती है ।ऐसे के प्रति हम सभी अग्नि देव के समक्ष प्रार्थना करने लगते है कि हमारे पितृ गणों के लिए आपके माध्यम से जो कुछ भी हो हमारी आहुतियां उस लोक तक पहुंचाने में आप सहायक हो ।कृपया आप मृतात्मा को भटकने से बचाये । हमारी रक्षा करें ।यह श्राद्ध पर्व मनुष्य को स्वर्ग तक पहुंचने का मार्ग प्रशस्त करता है ।स्वर्ग के आवास में पितृ चिंता रहित और शक्तिमान आनंदमय रुप धारण करते हैं ।।पृथ्वी पर वे राज सुख समृद्धि से रहते है ।इस हेतु पिण्डदान करने की कल्पना की गई है ।पितरों से प्रार्थना की गई कि वे वंशजों के पास जायें उनका आसन पूजन स्वीकारें , उ