तुम्हीं हो मेघ
तुम्हीं हो मेघ प्रकृति की कोख से , अदृश्य से दृश्यमान , तुम्हीं तो हो मेघ , आस लगाये किसान , आतप शरद के मध्य तुम्हीं हो । सागर , नदी , सरोवर से तुम्हीं हो , पर्वत की ओट , घर्षण या चोट , तुम्हीं हो | रक्तिम , कालिमा , सिंदूरी , श्वेत का आभास , शीतलता , आर्द्रता मेघ ही जीवन श्वास । इंद्र - बज्र की हुंकार , गर्जनों में भी प्रकाशमान , मेघ - बूँद से माटी सोधती , ताल - तलैया रसाप्लावित लहराते , चारो कोरो पर दादुर गीत उच्चार ते , प्रकृति पुरुष उदार मना , चिरयौवन , उमड़ - घुमड़ ...