जिनमें कोयल की कला है, पुरस्कृत हो रहें है
जिनमें कोयल की कला है , पुरस्कृत हो रहें है ---------------------------------------------------- सच जानिये , पितामह भीष्म अभी भी जीवित हैं , कर्म क्षेत्र में युध्द चल रहा है , योध्दा बदल रहा है , मैदान बदल गया है , समर में न जाने कौन मर रहा है | आज किसकी बारी मंच कोई हो , सब में सब सवाली है , धुंधलका गहरा रहा है , जैसे सब कुछ खाली-खाली हैं | कौवे भी तिरस्कृत हो रहे , जिनमें कोयल की कला है , वही पुरस्कृत हो रहें है , सज्जनता धूल धूसरित हो रही है | नीड़ में घुसा अनभला है , मुक्त जो मंच पा गया , आहत कर , छन्दबध्द पंक्तियों को खा गया | बेसुरे मंच से चटखारे पा रहे , सस्वर किस्मत पर गा रहे हैं | गीत क्यों लिखूं , चुरभईये दम ख़म से जी रहे हैं | छंद अज्ञातवास कर रही , वाह की कराह श्रोता भर रहा हैं , नहीं चेते तो जानों , कविता कराह भर र...