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दैहिक भाषा (बाॅडी लैंग्वेज)

दैहिक भाषा (बॉडी लैंग्वेज)                                                                           आकारैरड्गितैर्गत्या चेष्टया भाषणेन च। नेत्रवक्त्रविकारैश्च  लक्ष्यतेऽन्तर्गतं मनः।  मित्रभेद पंचतंत्र 45।।                         अर्थात् मनुष्य के आकार प्रकार, इंगित, गति,चेष्टा, वचन, नेत्र एवं मुख गत विकारों के द्वारा उसके अन्तःस्थ भावों का पता लग ही जाता है।  आपने कभी सोचा है कि आखिर कौन सी वजह है कि लोग बिना आपके कुछ कहे भी आपके मन:स्थिति  को भाँप लेते है ? या फिर आप भी झट से अपने आस-पास के लोगों का मन जान लेते हैं ? यह कमाल लोगों की दैहिक भाषा का है । बॉडी लैंग्वेज विशषज्ञों का तो मानना है कि हमारा शरीर मात्र सात प्रतिशत संदेश शारीरिक भाषा और व्यक्तित्व (पर्सनैलिटी )को ही शब्दों से सामने वाले व्यक्ति तक पहुंचा पाता है । श...